(Q = 1) :-निम्न पर संक्षिप्त टिप्पनी लिखिए
(a) :- एकेन्थेसी कुल के लक्षणो का वर्णन करें । इसके पुष्प सूत्र व पुष्प चित्र बताइये।
(b) :- कुल सोलेनेसी का आर्थिक महत्व ।
Ans :- (a) :- इस कुल का नाम ग्रीक शब्द एकेन्थस कांटे (Acanthus = spine) के आधार पर अकेन्थेसी रखा गया। सामान्यतः यह वज्रदन्ती बारलेरिया कुल भी कहलाता है।
वर्गीकृत स्थिति (Systematic Position) : बेन्थम व हुकर के अनुसार
प्रभाग (Division) : एंजियोस्पर्मव्
(i) बीजाण्ड ढके हुए।
उप-प्रभाग (Sub-Division) : डाइकोटिलिडन्स
(i) बीजपत्र दो, (ii) पुष्प पंचतयी।
वर्ग (Class) : गेमोपेटली
(i) बाह्यदल व दल स्पष्ट तथा संयुक्त।
श्रृंखला (Series) : बाइकोर्पिलिटी
(i) दो अण्डप, प्रायः उर्ध्ववर्ती (superior)
गण (Order) : पर्सोनेल्स
(i) एकव्यास सममित, पुंकेसर द्विदीर्धी
कुल (Family) : एकेन्थेसी : लाक्षणिक गुण
(1) पादप : अधिकतर शाक या क्षुप (shrub)
(2) पत्तियां : सम्मुख क्रासवत, पत्तियों में सिस्टोलिथ उपस्थित
(3) पुष्पक्रम : असीमाक्षी या ससीमाक्षी (racemose or cymose)
(4) पुष्प : एकव्यास सममित (zygomorphic)
(5) पुंकेसर : 2-5, परागकोष असमान तलों पर स्थित, स्पर युक्त
(6) जायांग : द्विअण्डपी, एक या द्विकोष्ठी, बीजान्डन्यास भित्तिय या अक्षीय।
(7) फल : कोष्ठ विदारक सम्पुटिका (loculicidal capsule)
(8) बीज : उत्क्षेपक (Jaculator) उपस्थित ।
पुष्प (Flower)
सहपत्री (2 या अधिक) हरे या दलाभ, थनबर्जिया (Thunbergia) के पार्श्वीय पर्ण सदृर्श (lateral leafy) सहपत्र बाह्यदलपुंज (calyx) को पूर्णतया ढके रहते हैं। सहपत्रकी (bracteolate), सवृन्त या अवृन्त प्रायः (subsessile), पूर्ण, द्विलिंगी, एक व्यास सममित, (zygomorphic), पंचतयी (pentamerous) बाह्यदलपुंज, पुमंग व जायांग में समानयन (rduction) पाया जाता है, चक्रिक (Cyclic)।
(b) :- कुल सोलेनेसी का आर्थिक महत्व
सोलेनेसी कुल में खाद्य व औषधीय महत्व के अनेक पादप मिलते हैं।
शोभाकारी पादप (Ornamental plants)
1. सेस्ट्रम नॉक्टरनम (Cestrum nocturnum)
2. सेस्ट्रम डाइयुरनम-दिन का राजा (Cestrum diurunm)
3. सोलेनम जेस्मीनोइडिस (Solanum jasminoides)
4. पिटुनिआ एल्बा (Petunia alba)
5. साइजेन्थस पिनेटस (Schizanthus pinnatus)
6. ब्रनफेलिसिया लेटीफोलिया (Brunfelsia latifolia)
खाद्य (Edible)
1. बैंगन-सोलेनम मेलोनजिना (Solanum melongena)
2. आलू-सोलेनम ट्यूबरोसम (S. tuberosum)
3. टमाटर-लाइकोपरसिकॉन एस्क्यूलेन्टम (Lycopersicon esculentum
4. मिर्च-कैप्सीकम ऐनुअम (Capsicum annum)
5. शिमला मिर्च-कैप्सीकम फुटेसेन्स (C. frutescens)
6. रसभरी-फाइसेलिस पेरुविआना (Physalis peruviana)
औषधिय पादप (Medicinal plants)
1. एट्रोपा बैलडोना (Atropa belladona) :- जड तथा पर्ण दवाई के रूप में प्रयुक्त होती है। इसमें एल्केलॉइड एट्रोपीन व हायोसायमीन पाये जाते हैं। यह तंत्रिका शामक (nerve sedative) ऐंठनरोधी (antispasmodic), उद्दीपक (stimulant) के समान प्रयोग की जाती है। यह आँखों की पुतलियों को फैलाने (dialate) के काम आती है। इससे बेलोडोना प्लास्टर व टिंक्चर बनते है जो पट्टी के रूप में फोड़े, फुसी पर चिपकाने के काम आते हैं।
2. हायोसायमस नाइगर (Hyoscymus niger) :- इसकी पत्तियों से हायोसीन (hyoscine) तथा हायोसायमीन (Hysocyamine) एल्केलॉइड प्राप्त होते हैं। यह शामक (sedative), स्वापक (narcotic) होता है। यह कूकरखासी (whooping cough) एवं दमें में प्रयुक्त होता है।
3. हायोसायमस म्यूटिकस (H. muticus) :- प्राचीन काल से यह पादप औषधिय रूप से प्रयोग किया जा रहा है। यह सेरीब्रल व स्पाइनल बीमारियों में प्रयोग किया जाता है। यह तंत्रिका शामक है, अनिद्रा (insomnia) के उपचार में भी प्रयोग किया जाता है। दांत दर्द ठीक करने में भी प्रयोग किया जाता है। कुछ स्थानों पर इसके अफीम के स्थान पर नशे के रूप में प्रयोग किया जाता है।
4. विथानिया सोमनीफेरा (Withania somnifera) :- यह अश्वगंधा के नाम से जाने पाती महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है। इसके जड तथा पत्तियों व फल सभी भाग दवा बनाने में प्रयुक्त होते हैं। यह उदर रोगों में प्रयोग की जाती है। इसमें स्वापक (narcotic) व मूत्रवर्धक (diuretic) गुण पाये जाते हैं।
5. विथानिया कोएग्यूलेन्स (W. coagulans) के फल दूध के स्कन्दन (coagulation) में प्रयोग किये जाते हैं।
6. धतुरा स्ट्रेमोनियम (Datura stramonium) :- इसकी पत्तियाँ व फूल औषधी के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। इसमें ऐल्केलॉइड धतुरीन (Daturine) पाया जाता है। इसमें पुतलियों को फैलाने (dialate or mydriatic) का गुण पाया जाता है। यह स्वापक (narcotic) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
7. तम्बाकू (Tobacco) :- निकोटिआना टोबेकम व निकोटिआना रस्टिका से एल्केलॉइड निकोटीन व एनोबैसिन प्राप्त होते हैं जो मानव के केन्द्रीय तंत्र पर शामक प्रभाव डालते हैं। यह कीटों को मारने के लिए उपयोग में ली जाती है। इसका उपयोग पत्तियों को परिशोधित करके तम्बाकू बनाने का है जिससे बीडी, सिगरेट, सिगार इत्यादि बनाये जाते है।
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